100 MOST COMMON VERBS IN ANY LANGUAGE. | |||
Verb | Example | ||
English | Sanskrit | English | Sanskrit |
to accept | अङ्गी- कृ | I accept. | अहं अङ्गीकरोमि| |
to allow | |||
to arrive | |||
to ask | प्रछ् | I ask. | अहं पृच्छामि| |
to be | अस् | I am. | अहं अस्मि| |
to be able to can may | शक् | I can I am able to I may | अहं शक्नोमि| |
to believe | |||
to borrow | |||
to break | भिद् रुज् | I break. | अहं भेदयामि| अहं रुजामि| |
to bring | आनय | I bring. | अहं आनयामि| |
to buy | क्री | I buy. | अहं क्रीणामि| |
to cancel | |||
to change | परि + वृत् | I change. | अहं परिवर्तयामि| |
to clean | परिष् + कृ | I clean. | अहं परिष्करोमि| |
to comb | |||
to come | आगच्छ | I come. | अहं आगच्छामि| |
to complain | |||
to cost | |||
to cough | |||
to count | गण् | I count. | अहं गणयामि| |
to cry / to weep | रुद | I cry. | अहं रुदामि| |
to cut | वप् तक्ष् कृत् खण्ड् छिद् | I cut. | अहं वपामि| अहं तक्षामि| अहं कर्तामि| अहं खण्डयामि| अहं छिनामि| |
to dance | |||
to draw | आ + लिख् | I draw. | अहं आलिखामि |
to drink | पिब | I drink. | अहं पिबामि| |
to drive | चल् | I drive. | अहं चालयामि| |
to earn | अर्ज् | I earn. | अहं अर्जामि| |
to eat | खाद | I eat. | अहं खादामि| |
to explain | वर्ण् | I explain. | अहं वर्णयामि| |
to fall | पत | I fall. | अहं पतामि| |
to fill | पॄ | I fill. | अहं पृणामि| |
to find | विन्द् | I find. | अहं विन्दामि| |
to finish | |||
to fit | |||
to fix | |||
to fly | |||
to forget | वि + स्मृ | I forget. | अहं विस्मरामि| |
to get | लभ् | I get. | अहं लभामि| |
to give | दा | I give. | अहं यच्छामि| |
to go | गम् | I go. | अहं गच्छामि| |
to have | |||
to have to, should | |||
to have to, must | |||
to hear | |||
to hurt | |||
to know | ज्ञा | I know. | अहं जानामि| |
to learn | |||
to leave | |||
to like | |||
to listen | |||
to live | |||
to look / to see | दृश् | I see. | अहं पश्यामि| |
to look at | |||
to look for | |||
to lose | |||
to love | |||
to make / to do | कृ | I do. | अहं करोमि| |
to mean | |||
to need | |||
to open | |||
to close/shut | |||
to organize | |||
to pay | |||
to pay for | |||
to play | खेल् | I play. | अहं खेलामि| |
to put | |||
to rain | वृष् | Rain rains. | वर्षा वर्षति| |
to read | पठ् | I read. | अहं पठामि| |
to rent | |||
to repeat | |||
to reply | |||
to run | धाव | I run. | अहं धावामि| |
to say | वद् | I say. | अहं वदामि| |
to scream, to shout, to scold | गर्ज | I shout. | अहं गर्जामि| |
to see / to look | दृश् | I see. | अहं पश्यामि| |
to sell | |||
to send | |||
to sign | |||
to sing | |||
to sit | उपविश | I sit. | अहं उपविश्यामि| |
to sleep | स्वप | I sleep. | अहं स्वपामि| |
to smell | घ्रा | I smell. | अहं जिघ्रामि| |
to smoke | |||
to spank / hit | ताड | I hit. | अहं ताडामि| |
to speak | वद | I speak. | अहं वदामि| |
to spell | |||
to spend | |||
to stand | |||
to stand up | उत्तिष्ठ | I stand up. | अहं उत्तिष्ठामि| |
to start/begin | |||
to steal | चुर् | I steal. | अहं चोरयामि| |
to stop | |||
to study | पठ् | I study. | अहं पठामि| |
to succeed | |||
to swim | |||
to take | नय | I take. | अहं नयामि| |
to talk | वद् | I talk. | अहं वदामि| |
to teach | |||
to tell | |||
to think | |||
to toss / throw | क्षिप | I throw. | अहं क्षिपामि| |
to translate | |||
to travel | |||
to try | |||
to turn off | |||
to turn on | |||
to type | |||
to understand | |||
to use | |||
to wait | तिष्ठ | I wait. | अहं तिष्ठामि| |
to wake up | |||
to walk | चल् | I walk. | अहं चलामि| |
to want | इष् | I want. | अहं इच्छामि| |
to wash | क्षाल् | I wash. | अहं क्षालामि| |
to watch | |||
to work | |||
to worry | |||
to write | लिख् | I write. | अहं लिखामि| |
Monday, November 2, 2009
Lesson 3 - Verbs - क्रियापदानि (verbs)
Sunday, November 1, 2009
अग्निः शेषं ऋणः शेषं शत्रुः शेषं तथैव च
अग्निः शेषं ऋणः शेषं शत्रुः शेषं तथैव च।
पुनः पुनः प्रवर्धेत तस्मात् शेषं न कारयेत्॥
अग्निः - fire
शेषं - remnant
ऋणः - loan
शेषं - remnant
शत्रुः - enemy
शेषं - remnant
तथैव - तथा + एव - similarly
च - and
पुनः - again
पुनः - again
प्रवर्धेत - grows
तस्मात् - in that
शेषं - remnant
न - no
कारयेत् - should do
Remnant fire, remnant loan and similarly remnant enemy grows(becomes powerful) again and again. In that remnant should not be left (they should be destroyed completely).
पुनः पुनः प्रवर्धेत तस्मात् शेषं न कारयेत्॥
अग्निः - fire
शेषं - remnant
ऋणः - loan
शेषं - remnant
शत्रुः - enemy
शेषं - remnant
तथैव - तथा + एव - similarly
च - and
पुनः - again
पुनः - again
प्रवर्धेत - grows
तस्मात् - in that
शेषं - remnant
न - no
कारयेत् - should do
Remnant fire, remnant loan and similarly remnant enemy grows(becomes powerful) again and again. In that remnant should not be left (they should be destroyed completely).
किं हारैः किमु कङकणैः किमसमैः कर्णावतंसैरलं
किं हारैः किमु कङकणैः किमसमैः कर्णावतंसैरलं
केयूरैर्मणिकुण्डलैरलमलं साऽडम्बरैरम्बरै:।
पुंसामेकमखण्डितं पुनरिदं मन्यामहे मण्डनं
यन्निष्पीडितपार्वणामृतकरस्यन्दोपमा सूक्तय॥
केयूरैर्मणिकुण्डलैरलमलं साऽडम्बरैरम्बरै:।
पुंसामेकमखण्डितं पुनरिदं मन्यामहे मण्डनं
यन्निष्पीडितपार्वणामृतकरस्यन्दोपमा सूक्तय॥
प्रथमवयसिपीतं तोयमल्पं स्मरन्तः शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम्
प्रथमवयसिपीतं तोयमल्पं स्मरन्तः शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम्।
ददति जलमनल्पास्वादमाजीवितान्तं न हि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति॥
ददति जलमनल्पास्वादमाजीवितान्तं न हि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति॥
यद्यपि खदिरारण्ये गुप्तो वस्ते हि चम्पकः वृक्षः
यद्यपि खदिरारण्ये गुप्तो वस्ते हि चम्पकः वृक्षः।
तदपि च परिमलमतुलं दिशि दिशि कथयेत्समीरणस्तस्य॥
तदपि च परिमलमतुलं दिशि दिशि कथयेत्समीरणस्तस्य॥
कस्तूरी जायते कस्मात् को हन्ति करिणां शतम्
कस्तूरी जायते कस्मात् को हन्ति करिणां शतम्।
किं कुर्यात् कातरो युद्धे मृगात् सिंहः पलायते॥
किं कुर्यात् कातरो युद्धे मृगात् सिंहः पलायते॥
अपारे काव्यसंसारे कविरेकः प्रजापतिः
अपारे काव्यसंसारे कविरेकः प्रजापतिः।
यथास्मै रोचते विश्वं तथा वै परिवर्तते॥
यथास्मै रोचते विश्वं तथा वै परिवर्तते॥
स्वायत्तमेकान्तहितं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः
स्वायत्तमेकान्तहितं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः।
विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम्॥
विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम्॥
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छादनमज्ञतायाः,
विधात्रा,
विनिर्मितं,
स्वायत्तमेकान्तहितं
यथा काष्ठं च काष्ठं च समेयातां महोदधौ
यथा काष्ठं च काष्ठं च समेयातां महोदधौ।
समेत्य च व्यपेयातां तद्वद्भूतसमागमः॥
समेत्य च व्यपेयातां तद्वद्भूतसमागमः॥
ताडिताः पीडिता ये स्युतान् ममेत्यभ्युदीरयेत्
ताडिताः पीडिता ये स्युतान् ममेत्यभ्युदीरयेत्।
स साधुरवगन्तव्यस्तत्र द्रष्टव्य ईश्वरः॥
स साधुरवगन्तव्यस्तत्र द्रष्टव्य ईश्वरः॥
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ताडिताः,
पीडिता,
ममेत्यभ्युदीरयेत्,
ये,
स्युतान्
चरेषु जातमात्रेषु वस्तुषु स्थावरेषु च
चरेषु जातमात्रेषु वस्तुषु स्थावरेषु च।
सफलं दृश्यते सर्वं विफलं नैव दृश्यते॥
सफलं दृश्यते सर्वं विफलं नैव दृश्यते॥
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च,
चरेषु,
जातमात्रेषु,
वस्तुषु,
स्थावरेषु
नानाधर्मनिगूढतत्वनिचिता यत्संस्कृती राजते
नानाधर्मनिगूढतत्वनिचिता यत्संस्कृती राजते
सेयं भारतभूर्नितान्तरुचिरा मातैव नः सर्वदा।
तस्या उन्नतिहेतवे हि भवतां ज्ञानं तथा मे बलं
संपन्ना बलशालिनी विजयतां मे मातृभूः सर्वदा॥
सेयं भारतभूर्नितान्तरुचिरा मातैव नः सर्वदा।
तस्या उन्नतिहेतवे हि भवतां ज्ञानं तथा मे बलं
संपन्ना बलशालिनी विजयतां मे मातृभूः सर्वदा॥
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नानाधर्मनिगूढतत्वनिचिता,
यत्संस्कृती,
राजते
कल्पद्रुमः कल्पितमेव सूते सा कामधेनू कामितमेव दोग्धि
कल्पद्रुमः कल्पितमेव सूते सा कामधेनू कामितमेव दोग्धि।
चिन्तामणिश्चिन्तितमेव दत्ते सतां तु सङ्गः सकलं प्रसूते॥
कल्पद्रुमः - Wish tree (tree which grants the wishes of the persons standing beneath it)
कल्पितमेव - कल्पितम् + एव
-------कल्पितम् - thought/wished
-------एव - only
सूते - gives
सा - she/that
कामधेनू - Wish Cow
कामितमेव - कामितम + एव
-------कामितम - thought/wished
-------एव - only
दोग्धि - gives
चिन्तामणि: - Wish stone
चिन्तितमेव - चिन्तितम् + एव
-------चिन्तितम् - thought/wished
-------एव - only
दत्ते - gives
सतां - saints'
तु - but
सङ्गः - accompaniment
सकलं - everything
प्रसूते - produces/gives
Wish tree gives only that is wished, Wish cow gives only that is wished, Wish stone gives only that is wished, but saints' accompaniment produces everything.
चिन्तामणिश्चिन्तितमेव दत्ते सतां तु सङ्गः सकलं प्रसूते॥
कल्पद्रुमः - Wish tree (tree which grants the wishes of the persons standing beneath it)
कल्पितमेव - कल्पितम् + एव
-------कल्पितम् - thought/wished
-------एव - only
सूते - gives
सा - she/that
कामधेनू - Wish Cow
कामितमेव - कामितम + एव
-------कामितम - thought/wished
-------एव - only
दोग्धि - gives
चिन्तामणि: - Wish stone
चिन्तितमेव - चिन्तितम् + एव
-------चिन्तितम् - thought/wished
-------एव - only
दत्ते - gives
सतां - saints'
तु - but
सङ्गः - accompaniment
सकलं - everything
प्रसूते - produces/gives
Wish tree gives only that is wished, Wish cow gives only that is wished, Wish stone gives only that is wished, but saints' accompaniment produces everything.
किसलयानि कुतः कुसुमानि वा
किसलयानि कुतः कुसुमानि वा
क्व च फलानि तथा नववीरुधाम्।
अयमकारणकारुणिको न चेत्
वितरतीह पयांसि पयोधरः॥
क्व च फलानि तथा नववीरुधाम्।
अयमकारणकारुणिको न चेत्
वितरतीह पयांसि पयोधरः॥
यदेवोपनत दुःखात्सुखं तद्रसवत्तरम्
यदेवोपनत दुःखात्सुखं तद्रसवत्तरम्।
निर्वाणाय तरुच्छाया तप्तस्य हि विशेषतः॥
निर्वाणाय तरुच्छाया तप्तस्य हि विशेषतः॥
प्राणान् त्यजति देशार्थं पीडितानां सहायकः
प्राणान् त्यजति देशार्थं पीडितानां सहायकः।
य आचरति कल्याणं लोकेमानं स विन्दति॥
य आचरति कल्याणं लोकेमानं स विन्दति॥
हस्ताक्षरं समीचीनं मित्रं ज्ञेयं चिरन्तनम्
हस्ताक्षरं समीचीनं मित्रं ज्ञेयं चिरन्तनम्।
तदेव विपरीतं चेत् शत्रुवत् गण्यते बुधैः ॥
तदेव विपरीतं चेत् शत्रुवत् गण्यते बुधैः ॥
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ज्ञेयं,
मित्रं,
समीचीनं,
हस्ताक्षरं
त्यजेत्क्षुधार्ता महिला स्वपुत्रं खादेत्क्षुधार्ता भुजगी स्वमण्डम्
त्यजेत्क्षुधार्ता महिला स्वपुत्रं खादेत्क्षुधार्ता भुजगी स्वमण्डम्।
बुभुक्षितः किं न करोति पापं क्षीणा नरा निष्करुणा भवन्ति॥
बुभुक्षितः किं न करोति पापं क्षीणा नरा निष्करुणा भवन्ति॥
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खादेत्क्षुधार्ता,
त्यजेत्क्षुधार्ता,
भुजगी,
महिला,
स्वपुत्रं,
स्वमण्डम्
निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु
निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रचलन्ति पदं न धीराः॥
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रचलन्ति पदं न धीराः॥
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निन्दन्तु,
नीतिनिपुणाः,
यदि,
वा,
स्तुवन्तु
घृष्टं घृष्टं पुनरपि पुनश्चन्दनं चारुगन्धम्
घृष्टं घृष्टं पुनरपि पुनश्चन्दनं चारुगन्धम्
छिन्नं छिन्नं पुनरपि पुनः स्वादु चैवेक्षुदण्डम्।
दग्धं दग्धं पुनरपि पुनः काञ्चनं कान्तवर्णम्
प्राणान्तेऽपिप्रकृतिविकृतिर्जायते नोत्तमानाम्॥
छिन्नं छिन्नं पुनरपि पुनः स्वादु चैवेक्षुदण्डम्।
दग्धं दग्धं पुनरपि पुनः काञ्चनं कान्तवर्णम्
प्राणान्तेऽपिप्रकृतिविकृतिर्जायते नोत्तमानाम्॥
उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी: दैवेन देयमिती कापुरुषावदन्ति
उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी: दैवेन देयमिती कापुरुषावदन्ति ।
दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः॥
दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः॥
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उद्योगिनं,
कापुरुषावदन्ति,
देयमिती,
दैवेन,
पुरुषसिंहमुपैति,
लक्ष्मी:
उदये सविता रक्तः रक्तश्चास्तमेन तथा
उदये सविता रक्तः रक्तश्चास्तमेन तथा।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च साधूनामेकरुपता॥
सम्पत्तौ च विपत्तौ च साधूनामेकरुपता॥
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