सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
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Monday, April 25, 2011
सुजनो न याति वैरम् परहितनिरतो विनाशकालेऽपि
सुजनो न याति वैरम् परहितनिरतो विनाशकालेऽपि ।
छेदेऽपि चन्दनतरुः सुरभयति मुखं कुठारस्य ॥
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